नई पुस्तकें >> छठा पूत छठा पूतवन्दना मोदी गोयल
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ये उपन्यास दरअसल समाज में रहने वाले कुछ ऐसी मानसिकता वाले लोगों के संर्पक में आने के बाद लिखा गया जो बेटियों को समाज में, घर में और अपने भाग्य में बोझ समझते हैं।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अपने प्रथम उपन्यास ‘हिमखण्ड’ के प्रकाशन के उपरान्त आज आप लोगों के समक्ष मैं अपना दूसरा उपन्यास ‘छठा पूत’ लेकर हाजिर हूँ। ये उपन्यास दरअसल समाज में रहने वाले कुछ ऐसी मानसिकता वाले लोगों के संर्पक में आने के बाद लिखा गया जो बेटियों को समाज में, घर में और अपने भाग्य में बोझ समझते हैं, लेकिन हो सकता है इस उपन्यास को पढ़कर उनकी मानसिकता में परिवर्तन आये और वो बेटियों को अभिशाप समझने की अपनी संकीर्ण सोच को बदलने पर मजबूर हो जाये और अगर दस में से एक व्यक्ति की भी सोच ये कहानी बदल सके तो मैं समझूँगी कि मेरा लिखने का उद्देश्य पूरा हो गया।